कुलभूषण चब्बा, सुंदरनगर। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी शहनाई की मधुर स्वर लहरियों से सभी को आनंदित करने वाला सूरज ढल गया लेकिन उनकी शहनाई की गूंज प्रदेश की फिजाओं में हमेशा सुनाई देती रहेगी। मंडी जिला की चच्योट तहसील के निवासी शहनाई वादन में हिमाचल प्रदेश के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कहे जाने वाले शहनाई वादक सूरजमणि गुरुवार को प्रभु चरणों में लीन हो गए।
कुछ समय से बीमार थे सूरजमणि
सूरजमणि कुछ समय से बीमार चल रहे थे। 65 वर्ष की आयु में उन्होंने एम्स बिलासपुर में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। उनके घर में पत्नी के अतिरिक्त दो बेटे हैं। मात्र 15 वर्ष की अल्पआयु में ही अपनी माता ढोलक वादक और गायिका मर्ची देवी व संगीत के पुरोधा माने जाने वाले ताया गुजु राम से संगीत की शिक्षा प्राप्त करने वाले सूरजमणि अब कभी अपनी शहनाई के साथ सुनाई और दिखाई नहीं देंगे।
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